समय प्रबंधन
,l-,u-?kkfV;k
18 दिसंबर 2012
le; izca/ku dyk gS ;k
foKku - ;g fookn dk
fo’k; gks ldrk हैS; fdarq thou esa le;&izca/ku dh mi;ksfxrk dks
lkekU;r% lHkh Lohdkj djrs gSaA bl ys[k dk lw=ikr le;&izca/ku ij okrkZ ds
nkSjku ,d Jksrk ds bl iz”u ls gqvk fd tc thou esa gj ckr HkkX; }kjk
iwoZ&fuf”pr gS rks le;&izca/ku dh D;k vko”;drk gS\ LokHkkfod Fkk fd cgl
le;&izca/ku ls gVdj HkkX; vkSj iq:’kkFkZ esa dkSu izcy gS ds “kk”or iz”u ij
dsafær gks xbZA ;|fi HkkX; vkSj iq:’kkFkZ में से किसी एक की श्रेष्ठता सिद्ध नहीं हो सकी,
इससे समय-प्रबंधन के बारे में
एक नया आयाम स्पष्ट हुआ कि यह पुरुषार्थ का प्रतीक है। vk/kqfud vFkZ&iz/kku ;qx esa] O;fDr vius thou
esa ek= HkkX; ds Hkjksls u jgdj lQyrk ds fy, lfØ; iz;Ru djuk pkgrk gS vkSj blds
fy, og nSfud O;ogkj esa fdlh&u&fdlh :i esa le;&izca/ku dks viukrk
gSA
le; izca/ku dk iwjk ykHk
ysus ds fy, ;g समझना vko”;d gS fd le; D;k gS
vkSj bldk izca/ku dSls fd;k tkk ldrk gSA tSlk कि ge tkurs gSa
tUe vkSj e`R;q ij O;fDr dk fu;a=.k ugha gksrk gSA vr% O;kogkfjd ifjHkk’kk dh
n`f’V ls lalkj esa tUe vkSj e`R;q ds chp dh vof/k dks O;fDr fo”ks’k ds fy,
miyC/k le; dgk tk ldrk gSA दूसरे
शब्दों में, हमारा समय जन्म से शुरू होता है और मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है। ;gh og vof/k gS
ftlesa O;fDr le;&izca/ku ds माध्यम से vius सजग
प्रयास से thou esa lQyrk vkSj vkuan
izkIr dj ldrk gSA प्रायः ge ns[krs gSa
fd जीवन में leku volj feyus
ij Hkh ,d gh {ks= esa nks O;fDr;ksa dk dSfj;j cgqr fHkUu gks ldrk gSA mnkgj.k
ds fy,] ,d gh esfMdy dkWyst ls nks fo|kFkhZ ltZjh dh f”k{kk izkIr djrs gSaA
nksuksa us ,d gh dkWyst esa v/;;u fd;k] nksuksa dks i<+kus okys v/;kid Hkh
,d gh Fks] nksuksa us iqLrdsa Hkh ogh i<+h] ,d gh lkFk okMks± esa izf”k{k.k
fy;k] ,d gh Js.kh esa ijh{kk,a mÙkh.kZ dh] ,d gh vLirky esa ltZu ds in ij
fu;qDr gq,] nksuksa ds dk;Z dk {ks= o le; ,d gh Fkk vkSj ikfjokfjd i`’BHkwfe
Hkh yxHkx ,d tSlh gh jghA fdarq ltZu ds :i esa dqN o’kZ dh izsfDVl ds ckn ;g
ns[kk tkrk gS fd muesa ls ,d ikl jksfx;ksa dh HkhM+ yxh jgrh gS] tcfd nwljs ds
ikl mipkj gsrq dksbZ tkuk ilan ugha djrk gSA O;kogkfjd thou esa ,slk ,d ugha
vfirq dbZ mnkgj.k ns[kus dks feyrs gSaA ,slk D;ksa gksrk gS\ fo”ys’k.k djus ij
ge ikrs gSa fd ltZu ds :i esa ,d O;fDr lQyrk ds f”k[kj ij gksrk gS] D;ksafd og
miyC/k 24 ?kaVksa esa vius ikfjokfjd o O;fDrxr nkf;Roksa dk fuokZg djrs gq, Hkh
;FkklaHko viuk vf/kdre le; vkSj /;ku jksx dh izÑfr dks le>rs gq, mlds funku
ds fy, nsrk gSA blds Bhd foijhr] nwljk O;fDr viuk le; “kY; fpfdRlk ds ctk; vU;
dk;ks± esa O;rhr djuk अधिक ilan djrk gSA Li’V gS fd
vU; ckrsa leku gksrs gq, Hkh] ,d ltZu ds :i esa og O;fDr vf/kd lQy gksxk tks कुशल
समय-प्रबंधन से jksxh ds
jksx&funku,व mipkj dks
izkFkfedrk देते हुए अपने क्षेत्र में हो रही नवीनतम खोजों की जानकारी
रखता है।
izÑfr gesa प्रतिदिन 24 ?kaVs काs le; iznku djus ds lkFk gh
mlds mi;ksx dh Lora=rk Hkh nsrh gSA pkgs ge 24 घंटों के ml le; को O;FkZ ds
dkeksa esa O;rhr djsa ;k mldk jpukRed mi;ksx djsa] izÑfr fdlh dks dqN ugha dgrh
gS vkSj vxys fnu fQj jk’Vªifr ls ysdj pijklh rd] lHkh dks fcuk fdlh HksnHkko ds
24 ?kaVs dk le; miyC/k djk nsrh gS vkSj ;g Øe tUe ls e`R;qi;±r vuojr pyrk jgrk
gSA जहां
तक भाग्य की भूमिका का प्रश्न है, भाग्य भी तभी कार्य करता है जब व्यक्ति स्वयं
उद्यम करे:
m|esu
fg fl/;fUr dk;kZf.k u euksjFkS%A
u
fg lqIrL; flagL; izfo”kfUr eq[ks e`xk%AA
fgrksins”k
ds mDr “yksd esa dgk x;k gS fd m|e ls gh dk;Z सिद्ध होते हैं क्योंकि lksrs gq, flag ds eq[k esa fgj.k vius vki ugha tkrk gSA LokHkkfod gS fd
भाग्य एवं m|e
dk iw.kZ ykHk ysus ds fy, le;&izca/ku mi;ksxh fl) gksrk gSA ;g O;fDr ij
fuHkZj djrk gS fd वह भाग्य पर भरोसा
करते हुए सोता रहे या izkIr le; में lkFkZd iz;kl dj viuk thou laokj ysA oLrqr%
HkkX; o m|e ¼iq:’kkFkZ½ ds fojks/kkHkkl dks nwj djus esa le;&izca/ku ,d
lsrq dk dke djrk gSA izÑfr esa gj Lora=rk ds lkFk ,d vfyf[kr nkf;Ro Hkh tqM+k
gqvk gksrk gSA le; ds jpukRed lnqi;ksx ds ckjs esa nkf;Ro cks/k O;fDr dks Lo;a
fodflr djuk gksrk gSA
समय की परिभाषा व
महत्व को समझने के पश्चात प्रश्न आता है कि समय का प्रबंधन कैसे किया जाए? कुशल प्रबंधन
के पांच मूल तत्व होते हैं – आयोजना, संगठन, नेतृत्व, समन्वय और नियंत्रण। इन्हें
व्यवहार में अपना कर समय-प्रबंधन किया जा सकता है।
आयोजना के
अंतर्गत हमें अपने कार्यों की प्राथमिकता के आधार पर दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक
समय योजना बनानी होती है।
संगठन के
अंतर्गत हमें अपने कार्यों को समयबद्ध रूप से पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधनों का
प्रबंधन करना होता है।
नेतृत्व के
अंतर्गत हमें कार्यों का आवंटन संबंधित व्यक्तियों को करना होता है क्योंकि सारे
कार्य एक व्यक्ति नहीं कर सकता है।
समन्वय
और नियंत्रण के द्वारा योजनाओं को क्रियांवित करने में मदद मिलती
है। समन्वय और नियंत्रण के अभाव में अच्छी से अच्छी
कार्य योजनाएं भी विफल हो जाती हैं और कार्य समय पर पूर्ण नहीं होते हैं।
प्रबंधन के उक्त
पांच तत्वों के आधार पर समय-प्रबंधन की कुछ उपयोगी टिप्स निम्नलिखित हैं:
·
संप्रेषण में स्पष्टता रखें।
·
समय-समय पर समीक्षा करें कि आप अपने समय का
उपयोग किस प्रकार कर रहे हैं।
·
जिन कार्यों में व्यर्थ समय व्यतीत होता है
उन्हें पहचान कर उन पर प्रभावी नियंत्रण रखें – जैसे कि गपशप, कार्य को टालने की
प्रवृत्ति, व्यर्थ के व्यवधान इत्यादि।
·
धन के बजट की तरह समय के उपयोग का भी बजट
बनाएं।
·
कागजी कार्य को कम करें, इसका अनावश्यक
विस्तार नहीं करें।
·
कम समय में अधिक कार्य करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी
के साधनों का उपयोग करें, जैसे कि कंप्यूटर, ईमैल, एस एम एस इत्यादि।
·
औसत रूप से प्रतिदिन के 24 घंटों में से हम
8 घंटे सोने में, 8 घंटे अपने व्यावसायिक कार्य में, 2 घंटे भोजन पर, 2 घंटे
संप्रेषण में और 1 घंटा नहाने-धोने व तैयार होने में व्यतीत करते हैं। हमारी दिनचर्या
के लिए आवश्यक इन 21 घंटों के पश्चात
हमारे पास 3 घंटे बचते हैं जिनके रचनात्मक उपयोग पर हमारे जीवन की प्रगति और
क्वालिटी निर्भर करती है।
वस्तुतः, हर व्यक्ति
अपने अनुभव से जानता है कि अपने कार्यों में वह समय-प्रबंधन कैसे करे। ऊपर से,
समय-प्रबंधन बहुत ही सरल कार्य लगता है और हम सभी में यह प्रवृत्ति होती है कि वह
अपने से छोटों को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते रहते हैं। किंतु स्वयं के मामले में इच्छा-शक्ति के अभाव के
कारण स्वयं के समय-प्रबंधन में विफल रहते हैं। अतः आवश्यकता है कि हम आत्म-अनुशासन द्वारा
अपने कार्य समय पर करने की जीवन शैली विकसित करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें